महाराणा प्रताप जयंती 4 जून को दिल्ली के रामलीला मैदान में भारत की व्यवस्था में परिवर्तन के नारे के साथ प्रारंभ हुआ बाबा रामदेव का सत्याग्रह कांग्रेस की कुत्सित और लोकतंत्र विरोधी चालों का शिकार हो गया। लगभग 1 लाख समर्थकों, अनुयायियों और भक्तों के साथ जिस प्रकार से बाबा ने इस आंदोलन का आगाज किया था उससे सोनिया के तलवे चाटने वाली मनमोहन सरकार को तो लकवा ही हो गया था। सरकार के वरिष्ठ मंत्री बाबा को मनाने के लिए बाबा के चारों ओर चक्करघिन्नी की भांति घूमते रहे, बाबा के साथ 3 जून को सकारात्मक वार्ता हुई जिसमें सरकार द्वारा बाबा से राजनीति करते हुए कहा गया कि अगर बाबा सरकार के प्रस्तावों से सहमत है तो अपनी सहमति लिखित में दे देवे ताकि प्रधानमंत्री को दिखाकर सहमति को अमलीजामा पहनाया जा सके, और बाबा की ओर से पतंजलि ट्रस्ट के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने सरकार को कागज के एक टुकड़े पर सहमति लिख दी और यही से शुरू हो गया कांग्रेस की घिनौनी राजनीति का खेल!
कंग्रेस सरकार के मंत्री कपिल सिब्बल ने पत्रकार वार्ता में आचार्य बालकृष्ण द्वारा लिखित वह कागज दिखाते हुए दावा किया कि बाबा तो नाटक कर रहे है, आंदोलन समाप्त करने की सहमति उन्होने 3 जून को ही दे दी थी। बाबा रामदेव ने इस कृत्य को विश्वासघात की संज्ञा देते हुए अपनी मांगे ना माने जाने की स्थिति में सत्याग्रह को जारी रखने की घोषणा कर दी। सरकार द्वारा रात 11 बजे बाबा के पास एक ड्राफट भेजा गया कि सरकार द्वारा बाबा की मांगे मान ली गई है, बाबा रामदेव ने सुबह विचार कर जबाब देने का कहा। इसके बाद रामलीला मैदान में जो कांग्रेसी ताण्डवलीला हुई उसे सारे विश्व ने अपनी आंखों से देखा।
हम सभी ने देखा कि आंधी रात के अंधेरे में पुलिस और अर्ध सैनिक बलों के हजारों जवान बाबा रामदेव के अनशन स्थल पर आये, सीधे मंच के पीछे गए जहां बाबा सो रहे थे, बाबा को बलपूर्वक गिरफतार करने का प्रयास किया। अनशनस्थल पर विश्राम कर रहे हजारों स्त्री पुरूषों और बच्चों, सामाजिक कार्यकर्ताओं व साधु-सन्यासियों को लाठीचार्ज कर, अश्रुगैस का प्रयोग कर पाण्डाल में आग लगाकर, पत्थरबाजी कर खदेड़ा गया। दो घण्टे के प्रयासों के बाद सरकार दमनकारी अमला बाबा का अपहरण करने में सफल हुआ।
इस कुचले जा रहे सत्याग्रह को लेकर देश की जनता केन्द्र सरकार से जबाब मांगती है कि:-
1- अगर बाबा रामदेव का अनशन गैर कानूनी था तो सरकार ने बाबा को अनशन करने ही क्यों दिया
2- अगर बाबा रामदेव जैसा कि कांग्रेस के धुरंधर हिन्दू विरोधी नेता दिग्विजय सिंह कह रहे है कि बाबा रामदेव तो महाठग है, तो सरकार ने बाबा के विरूद्ध आज से पूर्व कार्यवाही क्यों नहीं की
3-अगर बाबा धूर्त, ढ़ोंगी और मक्कार है (दिग्विजयसिंह के अनुसार,) तो केन्द्र सरकार के पांच-पांच मंत्री बाबा की अगवानी करने और उनसे वार्ता करने क्यों गए
4- अगर बाबा द्वारा अनशन करने की अनुमति नहीं ली गई थी तो सरकार द्वारा दिन के उजाले में कार्यवाही करने के स्थान पर रात में चोरों की भांति क्यों की गई
5- क्या सत्याग्रहियों के कारण दिल्ली या देश की कानून व्यवस्था खराब हो रही थी
6-कांग्रेस के नेता बाबा ने टैन्ट कहां से लगाया, खाना कैसे खिलाया, पानी क्यों पिलाया जैसे सवाल कर बाबा के विरूद्ध विष वमन कर रहे है, अगर बाबा रामदेव ऐसा नहीं करते तो क्या केन्द्र सरकार इन सभी के निए आवश्यक प्रबंध कर देती
7- बाबा को पुलिस द्वारा जिस प्रकार से बिना किसी कारण/ वारन्ट/ अपराध के अपनी हिरासत में लेकर बलपूर्वक दिल्ली से बाहर छोड़ने की कार्यवाही की गई क्या ऐसा सलूक सरकार अफजल / कसाब के साथ, गिलानी के साथ अथवा सैयद शहाबुद्दीन के साथ या बुखारी के साथ कर सकती है।
8- क्या कांग्रेस सरकार की कार्यवाही से नहीं लगता कि कांग्रेस सरकार हिन्दू संतों/ संगठनों को मिटाने की नीति पर कार्य कर रही है जैसा कि पोप जान पाल ने सन 2000 में दिल्ली में कहा था कि इस बार हमारा लक्ष्य भारत का ईसाईकरण है
9- ओसामा जैसे आतंकवादी को ओसामाजी और बाबा रामदेव को महाठग बताने वाले कांग्रेस नेताओं के बयान क्या कांग्रेस का हिन्दू विरोधी चैहरा सामने नहीं ला रहे
हिन्दू समाज पर इस समय घोर संकट की बेला है, सारा हिन्दू समाज जब तक एक होकर बाबा रामदेव के समर्थन में सड़कों पर नहीं आयेगा तब तक हिन्दू समाज के प्रतिनिधियों को ऐसे ही जूते खाने पड़ेगें
congress cruput logo ka ak giroh he jo har kimat par keval paisa kamana/rishwat/dalali/crime ke jajarea kamana janti he desh ko asal mayno me ise congress sarkar ne toda he Bhinderwala,lal denga, naxali,north east ki samsaya, bangaladeshyo ki guspeth me direct iska role he Dauad ka rona rote he lakin uska bhai or sare relative bombay me he rehate he ye shadyantrkari congressee unse bhi hafta vasuli karete honge ye faith ke kabil nahi he ra
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