26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान को इस बात का डर समा गया था कि भारत इसके जवाब में सैन्य कार्रवाई कर सकता है। गोपनीय दस्तावेज लीक करने वाली वेबसाइट विकीलीक्स के ताजा खुलासे में यह बात सामने आई है। विकीलीक्स के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों की नजर में हमला होने की नौबत आने पर पाकिस्तान परमाणु हथियार उठाने के लिए भी तैयार था।
विकीलीक्स की ओर से जारी किए गए इस्लामाबाद में मौजूद अमेरिकी अधिकारियों के संदेशों के मुताबिक पाकिस्तान और यहां तक कि पश्चिमी देशों का भी मानना है कि भारत और अफगानिस्तान दक्षिणी पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। पश्चिमी देशों के राजनयिकों और पाकिस्तानी हुक्मरानों की आशंका से जुड़े गोपनीय संदेशों का विकीलीक्स ने खुलासा किया है। ये संदेश अमेरिकी विदेश मंत्रालय को भेजे गए थे।
नवाज के भाई ने की आतंकियों की मदद
पाकिस्तान में नेता विपक्ष नवाज शरीफ के भाई और पंजाब सूबे के सीएम शाहबाज शरीफ ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को सलाह दी थी कि वह अपने बैंक खाते खाली कर ले क्योंकि मुंबई हमलों के बाद यूएन उस पर बैन लगा सकता है। शाहबाज के कहने पर लश्कर ने छापे पड़ने से पहले अपने सारे खाते खाली कर लिए। यह बात राष्ट्रपति जरदारी ने खुद इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत एनी पैटरसन को दी थी। मुंबई हमले के छह हफ्ते बाद जरदारी ने अपनी ‘हताशा’ पैटरसन से बयान करते हुए कहा कि पंजाब सूबे में शरीफ सरकार ने लश्कर को यूएन की पाबंदी से बचाने में मदद की।
जरदारी की एक नहीं सुनती है पाक सेना
संदेशों में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना पहले परमाणु हथियार इस्तेमाल नहीं करने के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के वादे को गंभीरता से नहीं ले रही थी। यानी भारत की ओर से सैन्य हमले की स्थिति में पाकिस्तानी सेना भारत से पहले ही परमाणु हथियार से हमला कर देती।
पाकिस्तानी हुक्मरानों ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से भारत की ‘आतंकवादी’ कार्रवाइयों की शिकायत की थी। विकीलीक्स के मुताबिक वर्ष 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान दौरे पर गए अमेरिकी विदेश उप मंत्री जॉन नेग्रोपोंटे से कहा था, ‘हमारे पास इसके सबूत हैं कि कौन किसे कैसा हथियार दे रहा है। यदि भारत का यही रवैया जारी रहा तो हम भी इसका जवाब देंगे।' सैन्य तानाशाह का आरोप था कि बलूचिस्तान में भारत और अफगानिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।
चौंकाने वाली बात तो यह है कि मुशर्रफ के साथ पश्चिमी देशों के राजनयिकों को भी लगता था कि भारत और अफगानिस्तान दक्षिणी पाकिस्तान में आतंकवाद फैला रहे हैं। इन राजनयिकों को हालांकि यह भी यकीन हो गया था कि मुंबई हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है।
भारत की सैन्य ताकत से डर गए हैं जरदारी
विकीलीक्स ने भारत की बढ़ती सैन्य ताकत पर पाकिस्तान की चिंता को लेकर अमेरिकी सीनेटर जॉन केरी के गोपनीय बयान से जुड़ा संदेश भी उजागर किया है। इस साल के शुरू में पाकिस्तान के दौरे पर गए केरी के संदेश के मुताबिक, ‘जरदारी ने कहा कि भारत ने इस साल रक्षा बजट में 30 फीसदी की बढ़ोतरी की है और इससे पाकिस्तान को सीधा खतरा है।’ जब केरी ने भारत पर चीन की ओर से खतरे के बारे जरदारी से पूछा तो पाकिस्तानी राष्ट्रपति का कहना था कि भारतीय सेना के टैंक चीनी सीमा से सटे क्षेत्रों में तैनात नहीं किए जाएंगे, इनका इस्तेमाल सिर्फ पाकिस्तान पर हमले के लिए ही किया जा सकता है।
विकीलीक्स की ओर से जारी किए गए इस्लामाबाद में मौजूद अमेरिकी अधिकारियों के संदेशों के मुताबिक पाकिस्तान और यहां तक कि पश्चिमी देशों का भी मानना है कि भारत और अफगानिस्तान दक्षिणी पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। पश्चिमी देशों के राजनयिकों और पाकिस्तानी हुक्मरानों की आशंका से जुड़े गोपनीय संदेशों का विकीलीक्स ने खुलासा किया है। ये संदेश अमेरिकी विदेश मंत्रालय को भेजे गए थे।
नवाज के भाई ने की आतंकियों की मदद
पाकिस्तान में नेता विपक्ष नवाज शरीफ के भाई और पंजाब सूबे के सीएम शाहबाज शरीफ ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को सलाह दी थी कि वह अपने बैंक खाते खाली कर ले क्योंकि मुंबई हमलों के बाद यूएन उस पर बैन लगा सकता है। शाहबाज के कहने पर लश्कर ने छापे पड़ने से पहले अपने सारे खाते खाली कर लिए। यह बात राष्ट्रपति जरदारी ने खुद इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत एनी पैटरसन को दी थी। मुंबई हमले के छह हफ्ते बाद जरदारी ने अपनी ‘हताशा’ पैटरसन से बयान करते हुए कहा कि पंजाब सूबे में शरीफ सरकार ने लश्कर को यूएन की पाबंदी से बचाने में मदद की।
जरदारी की एक नहीं सुनती है पाक सेना
संदेशों में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना पहले परमाणु हथियार इस्तेमाल नहीं करने के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के वादे को गंभीरता से नहीं ले रही थी। यानी भारत की ओर से सैन्य हमले की स्थिति में पाकिस्तानी सेना भारत से पहले ही परमाणु हथियार से हमला कर देती।
पाकिस्तानी हुक्मरानों ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से भारत की ‘आतंकवादी’ कार्रवाइयों की शिकायत की थी। विकीलीक्स के मुताबिक वर्ष 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान दौरे पर गए अमेरिकी विदेश उप मंत्री जॉन नेग्रोपोंटे से कहा था, ‘हमारे पास इसके सबूत हैं कि कौन किसे कैसा हथियार दे रहा है। यदि भारत का यही रवैया जारी रहा तो हम भी इसका जवाब देंगे।' सैन्य तानाशाह का आरोप था कि बलूचिस्तान में भारत और अफगानिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।
चौंकाने वाली बात तो यह है कि मुशर्रफ के साथ पश्चिमी देशों के राजनयिकों को भी लगता था कि भारत और अफगानिस्तान दक्षिणी पाकिस्तान में आतंकवाद फैला रहे हैं। इन राजनयिकों को हालांकि यह भी यकीन हो गया था कि मुंबई हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ है।
भारत की सैन्य ताकत से डर गए हैं जरदारी
विकीलीक्स ने भारत की बढ़ती सैन्य ताकत पर पाकिस्तान की चिंता को लेकर अमेरिकी सीनेटर जॉन केरी के गोपनीय बयान से जुड़ा संदेश भी उजागर किया है। इस साल के शुरू में पाकिस्तान के दौरे पर गए केरी के संदेश के मुताबिक, ‘जरदारी ने कहा कि भारत ने इस साल रक्षा बजट में 30 फीसदी की बढ़ोतरी की है और इससे पाकिस्तान को सीधा खतरा है।’ जब केरी ने भारत पर चीन की ओर से खतरे के बारे जरदारी से पूछा तो पाकिस्तानी राष्ट्रपति का कहना था कि भारतीय सेना के टैंक चीनी सीमा से सटे क्षेत्रों में तैनात नहीं किए जाएंगे, इनका इस्तेमाल सिर्फ पाकिस्तान पर हमले के लिए ही किया जा सकता है।
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