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नया धमाका

11/23/2010

आतंकवादियों की पुनर्वास योजना को लेकर जम्मू-कश्मीर सरकार ने तैयार किया मसौदा

दैनिक जागरण की वेबसाईट पर एक मात्र समाचार ऐसा है जो कि एक ही पक्ति में समाप्त हो जाता है और वो है कि सरकार द्वारा आतंकवादियों के लिए पुनर्वास योजना को स्वीकृति मिली। सूत्रों के अनुसार, सीमा पार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान में आतंकवाद का प्रशिक्षण प्राप्त करने तथा वहां से शस्त्र लाने गए आतंकवादियों की वापसी और उनके पुनर्वास के लिए योजना को अंतिम दे दिया गया है। इसके अंतर्गत लगभग 3000 कश्मीरियों की वापसी और उनके पुनर्वास का प्रबंध किया जाएगा। इसके अतिरिक्त सिविक एक्शन कार्यक्रम के अंतर्गत लगभग 500 ऐसे युवकों के पुनर्वास की भी योजना बनायी गयी है जिन्हें कश्मीर घाटी में गत महीनों के दौरान पत्थर मारने तथा सुरक्षा बलों को परेशान करने जैसे आरोपों में पकड़ा गया है।
सूत्रों के अनुसार सीमा पार गए आतंकवादियों की विभिन्न सरकारी संस्थानों ने सूची भी पूरी कर ली है। कई ऐसे व्यक्तियों के साथ सीधा सम्पर्क भी किया जा चुका है जो वापस घर लौटने के लिए तैयार हैं। किन्तु एक बड़ी रुकावट यह आ रही है कि पाकिस्तान के अधिकारी क्या इन आतंकवादियों को नियमित रूप से वापस लौटने की अनुमति देंगे? या फिर इनको नियंत्रण रेखा पार करके इस ओर चुपके से प्रवेश करने की छूट दी जाएगी और फिर उनके साथ उनके परिवारों को भी आने दिया जाएगा?
इस सम्बंध में यह उल्लेखनीय है कि 1989-90 में जब आतंकवाद का दौर शुरू हुआ था तो बड़ी संख्या में कश्मीरी तथा कुछ अन्य युवकों को कुछ राजनेताओं और अलगाववादियों ने उस पार पाकिस्तान जाकर प्रशिक्षण प्राप्त करने तथा आजादी के संघर्ष के नाम पर शस्त्र लाने के लिए उत्साहित किया था। इन युवकों में से अधिकांश वापस आ गए थे, जिनमें से कई मारे भी जा चुके हैं। किन्तु कुछ ऐसे भी थे जो अभी तक उस पार ही रुके हैं। इनमें से कई ने वहां विवाह कर लिया और उनके बच्चे भी हैं।
यह भी उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम के साथ विचार-विमर्श के पश्चात् जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उस पार के आतंकवादियों को वापस आने तथा उनके पुनर्वास सम्बंधी योजना बनाने की घोषणा की थी। किन्तु सरकार की इस घोषणा का भाजपा तथा जम्मू के कुछ अन्य संगठनों ने कड़ा विरोध किया था। पर इस सम्बंध में कश्मीर में मुख्य विपक्षी दल पी.डी.पी. की मांगों से भी आगे निकल कर नेशनल कांफ्रेंस और भी कुछ बड़ा कर दिखाना चाहती है। क्योंकि नगर निकायों तथा पंचायतों के चुनाव आ रहे हैं। सत्तारूढ़ नेताओं का कहना है कि आत्मसमर्पण नीति सफल रही है। आत्मसमर्पण करने वाले बहुत से आतंकवादी अत्यंत लाभदायक सिद्ध हुए हैं। इसमें से बड़ी संख्या को सीमा सुरक्षा बल तथा केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल, पुलिस आदि में भी भर्ती किया गया है।
इसी प्रकार सुरक्षा बलों पर पत्थर मारने तथा अन्य घटनाओं में लिप्त भटके हुए युवकों के पुनर्वास के लिए एक योजना बनाई जा रही है जिसे सरकारी नागरिक कार्य योजना अर्थात् (कैप) का नाम दिया गया है। किन्तु सरकार की इस कार्यप्रणाली तथा नीतियों के विरुद्ध भाजपा, पैंथर्स पार्टी तथा कुछ अन्य दलों के सदस्यों ने विधानसभा में भारी हंगामा कर वाकआउट भी किया और सत्तारूढ़ नेताओं पर आतंकवादियों को प्रोत्साहित करने के गंभीर आरोप लगाए। कहा कि इन्हें उन शिक्षित लाखों बेरोजगारों की कोई चिंता नहीं जो काफी समय से प्रदर्शन कर रहे हैं और शांतिपूर्ण तरीकों से संघर्ष कर रहे हैं कि उन्हें रोजगार उपलब्ध कराया जाए। भाजपा नेताओं ने यह भी कहा कि सरकार को आतंकवादियों के पुनर्वास की चिंता तो है किन्तु उन लाखों विस्थापितों के पुनर्वास की चिंता नहीं है जिन्हें कट्टरवादियों ने अपने घर-बार छोडऩे के लिए विवश किया था तथा वे कई वर्षों के पश्चात भी विस्थापितों का जीवन जीने को मजबूर हैं। इसके अतिरिक्त उन शरणार्थियों के मानवाधिकारों का भी विचार नहीं किया जो गत 62 वर्षों से पाकिस्तान से उजडक़र इस राज्य में आकर रह रहे हैं।

2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय बन्‍धु आपका ब्‍लाग http://rahasyodghaatan.blogspot.com/
    में शामिल किया गया है ।
    ये सत्‍य को हिम्‍मत करके बोल सकने वालों का संकलक है ।
    अपने विचार भेजें ।।

    धन्‍यवाद

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  2. अगर वोट बैंक की राजनीति के कारण सरकारें उग्रवादियों को आर्थिक पैकेज देंगी तो आने वाले समय में युवा वर्ग काम करने की बजाय हाथों में हथियार उठाना अधिक पंसद करेगा।

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