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नया धमाका

11/22/2010

'एक अभियुक्त सतर्कता आयुक्त कैसे हो सकता है?'

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सतर्कता आयुक्त की नियुक्ती को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान सवाल उठाया है कि 'आपराधिक मामले का कोई अभियुक्त मुख्य सतर्कता आयुक्त के पद का कामकाज कैसे देख सकता है?'
इस बारे में जनहित याचिका की सुनवाई न्यायाधीश एसएच कपाडिया की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है.
सुनवाई के दौरान जस्टिस कपाडिया ने पूछा,   ''इस फ़ाइल को पढ़े बिना ही हमारी चिंता ये है कि यदि कोई व्यक्ति किसी आपराधिक मामले में अभियुक्त है तो वह सीवीसी का कामकाज कैसे देख सकता है?  हम एक साथ बैठकर इस फ़ाइल का अध्ययन करेंगे''

'हर क़दम पर ये आरोप लगेंगे'

पीजे थॉमस के ख़िलाफ़ वर्ष 2002 से पालमोलीन निर्यात से संबंधित एक मामला लंबित है और उससे संबंधित चार्जशीट में पीजे थॉमस का नाम भी है.
इस सुनवाई के दौरान एटॉर्नी जनरल जीई वाहनवाटी ने कहा कि पालमोलीन मामले से उनका कोई संबंध नहीं है और उनके ख़िलाफ़ अभियोग चलाने के बारे में फ़ैसला नहीं हुआ है.
लेकिन न्यायधीशों के पीठ का कहना था, "हम ये मानकर चलते हैं कि हर क़दम पर आरोप लगेंगे कि आप सीवीसी के तौर पर इस मामले का निपटारा कैसे कर सकते हैं जब आप ही आपराधिक मामले में अभियुक्त हैं. आप सीवीसी के तौर पर कैसे काम करेंगे? हर मामले में केंद्रीय जाँच ब्यूरो को इनके सामने रिपोर्ट करना होता है."
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले वकील प्रशांत भूषण के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने एटॉर्नी जनरल से पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में की गई टिप्पणी कि मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) बिलकुल बेदाग़ छवि वाला व्यक्ति होना चाहिए, नियुक्ति का मूल मानदंड नहीं है.
इस पर एटॉर्नी जनरल का कहना था कि यह मूल मानदंड नहीं हो सकता क्योंकि यदि ऐसा हुआ तो किसी संवैधानिक पद पर नियुक्ती नहीं हो पाएगी क्योंकि किसी भी नियुक्ती को चुनौती दी जा सकती है.
न्यायालय ने ये सवाल भी उठाया कि नियमों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के ख़िलाफ़ कोई चार्जशीट हो तो उस व्यक्ति के बारे में तरक्की तक के लिए विचार नहीं होता. न्यायाधीशों का कहना था कि ये बहुत ही गंभीर मामले है और पीठ अपना फ़ैसला इन सवालों के आधार पर देगी.

राजनीतिक प्रतिक्रिया

भारतीय जनता पार्टी के नेता बलबीर पुंज ने कहा कि सीवीसी की नियुक्ती के समय भाजपा ने इसका विरोध किया था. पुंज का आरोप था, "इस सरकार ने लोगों और संसद के सामने अपनी विश्वसनीयता खो दी है."
उधर भाजपा के ही वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार को जवाब देना होगा कि पीजे थॉमस की नियुक्ती कैसे हुई.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही उचित सवाल पूछे हैं, अब सरकार को जवाब देना चाहिए.
लेकिन कांग्रेस के नेता केशव राव का कहना था, "अभी किसी एजेंसी ने निर्णायक फ़ैसला नहीं दिया है. हमें इंतज़ार करना चाहिए."

2 टिप्‍पणियां:

  1. .

    @-"इस सरकार ने लोगों और संसद के सामने अपनी विश्वसनीयता खो दी है."

    No doubt about it .


    .

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  2. कांग्रेस के राज में भारत में कुछ भी हो सकता है मेरे दोस्त!

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