लीव इन में रहने वाली महिला रखैल नहीं तो और क्या? लीव इन में रहने वाली महिला रखैल नहीं तो और क्या?
गत दिनों सुप्रीम कोर्ट ने लीव इन में रह रही महिलाओं के संबंध में एक अहम फैसला देते हुये कहा की अगर कोई पुरूष रखैल रखता है , जिसको वो गुज़ारे का खर्च देता है और मुख्य तौर पर यौन रिश्तों के लिए या नौकरानी की तरह रखता है तो यह शादी जैसा रिश्ता नहीं है। इस फैसले के बाद बहुत से लोगों को रखैल शब्द पर आपत्ति है। प्रख्यात वकील और अडिशनल सॉलीसिटर जनरल इंदिरा जय सिंह ने लिव-इन रिश्तों में रह रही महिलाओं के लिए ‘ रखैल ‘ शब्द के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है की फैसले में इस्तेमाल किया गया रखैल शब्द बेहद आपत्तिजनक है और इसे हटाए जाने की जरूरत है। जयसिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 21वीं सदी में किसी महिला के लिए ‘ रखैल ‘ शब्द का इस्तेमाल आखिर कैसे कर सकता है? क्या कोई महिला यह कह सकती है कि उसने एक पुरुष को रखा है?
यह सही है की कोई महिला यह नहीं कहेगी की उसने पुरूष रखा हुआ है मगर इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता की जिस प्रकार पुरूष महिला को बिना शादी के साथ में रखते हैं उसी प्रकार महिलायें भी पुरूष को बिना शादी के अपने साथ रखती हैं। अब इस के बाद एक अहम सवाल यह पैदा हो गया है और इस पर बहस की ज़रूरत है की ऐसी महिलाओं के लिए रखैल शब्द का प्रयोग उचित कियून नहीं है। यह अलग बात है की कानून के मुताबिक कोई भी बालिग लिव इन में रह सकता है या रह सकती है। मगर क्या भारत जैसे देश में इस रिश्तों को सही माना जाएगा या सही माना जाना चाहिए। कोई भी धर्म ऐसा नहीं हैं जिसमें बिना शादी के महिला और पुरूष को एक पति पत्नी की तरह रहने और शारीरिक संबंध बनाने की इजाज़त देता है। इस के बावजूद यदि कोई ऐसा करता है तो उसे बुरी नज़र से कियून नहीं देखा जाए। ऐसा नहीं हैं रखैल शब्द सिर्फ महिलाओं के लिए ही है यदि कोई पुरूष किसी महिला के साथ बिना शादी के रह रहा है और शारीरिक संबंध बना रहा है तो उसके लिए भी यही शब्द इस्तेमाल होना चाहिए। यह कहना की 21 वीं सदी में किसी महिला के लिए रखैल शब्द का इस्तेमाल सही नहीं है बेकार की बात है। यह 21 वीं सदी है, देश तरक़्क़ी कर रहा है, महिलायें भी जीवन के विभिन्न मैदानों में आगे बढ़ रही हैं इसका मतलब यह नहीं है की वो बिना शादी के किसी पुरूष के साथ पति पत्नी की तरह रहें। ईमानदारी की बात यह है और सच्चाई भी इसी में है की जो कोई महिला या पुरूष इस तरह लीव इन में रहता है या रहती वो सिर्फ और सिर्फ ऐसा मज़े के लिए और जिम्मेदारियों से भागने के लिए करता है। इस प्रकार के रिश्तों में रहने वालों के लिए नैतिकता की बात करना बेमानी है। यह इंसान की फितरत है और इस लिए एक लड़का और लड़की में पियार मुमकिन है ऐसे में यदि उन दोनों को साथ रहना है और दोनों बालिग हैं तो फिर उनके लिए शादी एक बेहतरीन तरीका है। ऐसे लड़के या लड़कियां शादी जैसे पवित्र बंधन में बांधने से कियून भागते है। अगर कोई शादी से भागता है तो इसका मतलब यह है की शादी के बाद आने वाली जिम्मेदारियों से भाग रहा है। और जो लोग समाज से भागते हों , सामाजिक और पारिवारिक जिम्मेदारियों से भागते हों ऐसे लोगों के साथ हमदर्दी किस बात की। एक आसान सी बात है जो हर किसी को समझना चाहिए की बिना शादी के शारीरिक संबंध बनाना ग़लत है और इसे ग़लत माना जाना चाहिए। जब बिना शादी के शारीरिक संबंध बनाने को ग़लत माना जाता है तो फिर लीव ईन में रहने और हर प्रकार के मज़े करने की जितनी भी निंदा की जाये कम है। जो लोग इस प्रकार के रिश्ता रखने वालों का साथ देते हैं, उनके साथ हमदर्दी रखते हैं और उनके हक़ की लड़ाई लड़ते हैं वो दरअसल भारत की संस्कृति के साथ मज़ाक करते हैं। मेरी जितनी समझ है उस से मुझे लगता है की लीव इन वेस्टर्न मुल्कों में फैली एक बुराई है जो अब बड़ी तेज़ी से भारत में भी फैलती जा रही है यदि ऐसे रिश्तों की निंदा नहीं की गयी तो धीरे धीरे शादी का सिस्टम ही खत्म हो जाएगा और पार्टनर बादल बदल कर मज़ा बदलने का रिवाज भी बढ्ने लगेगा. (साभार प्रवक्ता)
ek hi post ko duhraatey rahegae yaa aagey bhi kahegae
जवाब देंहटाएंliv in relationship mae rehnae waali ko rakhael keh rahae haen to us purush ko kyaa kahegae
dalaal yaa dalaa yaa hijra yaa jigalo
ek vahiyat post ko dubara chhap kar aap ni kyaa teer maar liya
Jai ho Bharat Desh ki
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