लंदन : ब्रितानी सरकार ने अपने नागरिकों को आगाह किया है कि विकिलीक्स जिन गोपनीय राजनयिक दस्तावेजों को इस हफ्ते जारी कर रहा है, उनमें जाहिर होने वाले‘इस्लाम विरोधी’विचारों की वजह से पाकिस्तान, इराक, ईरान और मुस्लिम जगत के अन्य हिस्सों में उन्हें हिंसा का निशाना बनाया जा सकता है.
ऐसी रिपोर्ट है कि अमेरिकी राजनयिकों की फ़ाइलों में विश्व के जिन नेताओं के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणियां हैं उनमें दक्षिण अफ़्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई, लीबिया के कर्नल गद्दाफ़ी और जिम्बाब्वे के रॉबर्ट मुगावे समेत कई विश्व नेता शामिल हैं.
‘संडे टाइम्स’ की खबर के मुताबिक, विकिलीक्स वेबसाइट लगभग तीस लाख गोपनीय दस्तावेज इंटरनेट पर जारी करने जा रहा है जिनमें लंदन स्थित अमेरिकी दूतावास से वाशिंगटन भेजे गए बेहद संवेदनशील गोपनीय संदेश भी शामिल हैं.
इसमें कहा गया है कि ब्रितानी सरकार ने पाकिस्तान, इराक, ईरान और मुस्लिम जगत के दूसरे हिस्सों में रहने वाले अपने नागरिकों को आगाह किया है कि इन राजनयिक दस्तावेजों में जाहिर ‘इस्लाम विरोधी’ विचारों की वजह से उन्हें हिंसा का निशाना बनाया जा सकता है
ऐसी रिपोर्ट है कि अमेरिकी राजनयिकों की फ़ाइलों में विश्व के जिन नेताओं के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणियां हैं उनमें दक्षिण अफ़्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई, लीबिया के कर्नल गद्दाफ़ी और जिम्बाब्वे के रॉबर्ट मुगावे समेत कई विश्व नेता शामिल हैं.
‘संडे टाइम्स’ की खबर के मुताबिक, विकिलीक्स वेबसाइट लगभग तीस लाख गोपनीय दस्तावेज इंटरनेट पर जारी करने जा रहा है जिनमें लंदन स्थित अमेरिकी दूतावास से वाशिंगटन भेजे गए बेहद संवेदनशील गोपनीय संदेश भी शामिल हैं.
इसमें कहा गया है कि ब्रितानी सरकार ने पाकिस्तान, इराक, ईरान और मुस्लिम जगत के दूसरे हिस्सों में रहने वाले अपने नागरिकों को आगाह किया है कि इन राजनयिक दस्तावेजों में जाहिर ‘इस्लाम विरोधी’ विचारों की वजह से उन्हें हिंसा का निशाना बनाया जा सकता है
वाशिंगटन। न्यूयार्क टाइम्स ने विकिलीक्स द्वारा मुहैया कराए गए खुफिया दस्तावेज जारी किए जिनमें दूतावासों द्वारा दुनियाभर में सौदेबाजी, विदेशी नेताओं के तटस्थ विचार, परमाणु और आतंकी खतरे के मूल्यांकन जैसे ब्यौरे का खुलासा किया गया है।
न्यूयार्क। अमेरिका के आग्रह को स्वीडन की वेबसाइट विकिलीक्स ने ठुकराते हुए दस्तावेजों को जारी करना शुरू कर दिया है। यह दस्तावेज फ्रांस के ली मोंड समेत कई अखबारों को दे दिए गए हैं। इससे पहले विकिलीक्स ने कहा था कि उसकी वेबसाइट हैक कर ली गई है लेकिन इसके बावजूद वह इन्हें अखबारों के जरिए सार्वजनिक करेगा।
इससे पहले घबराए अमेरिका ने विकिलीक्स से अनुरोध किया था कि वह उसे अवैध रूप से प्राप्त किए गए सभी गुप्त दस्तावेज वापस कर दे। उसका मानना है कि इन दस्तावेजों के लीक होने से लाखों लोगों की जान को खतरा है। इस अनुरोध को अनसुना करते हुए विकिलीक्स ने दावा किया कि उसकी वेबसाइट को हैक कर लिया गया। इस वजह से वेबसाइट पर ये गोपनीय दस्तावेज नहीं जारी हो पाए। वह अब इन दस्तावेजों को अखबारों के माध्यम से जारी करेगा। अमेरिका के बाद ब्रिटेन ने भी इन गोपनीय दस्तावेजों के सार्वजनिक होने से मुस्लिम आक्रोश भड़ने की आशंका जताई है।
भारत चिंतित नहीं लेकिन उत्सुक: कृष्णा
नई दिल्ली। श्रीलंका से स्वदेश लौट रहे विदेशमंत्री एस. एम. कृष्णा ने रविवार को कहा कि अमेरिकी गोपनीय दस्तावेजों को जारी करने के विकिलीक्स के अगले कदम से भारत वाकई चिंतित नहीं है। इसके बावजूद इन दस्तावेजों से होने वाले रहस्योद्घाटन को जानने का इच्छुक जरूर है।
यह पूछे जाने पर कि विकिलीक्स के मामले में क्या अमेरिकी सरकार भारत के संपर्क में है? कृष्णा ने कहा, 'बीते तीन-चार दिन हम अपने देश से बाहर रहे, इसलिए मुझे नहीं पता कि ऐसी कोई बात है या नहीं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार विकिलीक्स की घोषणा से वाकई चिंतित नहीं है। लेकिन यह जानने में रुचि जरूर है कि दस्तावेजों में है क्या।
वाशिंगटन: पेंटागन ने 'अविवेकी' हरकत बताकर की विकिलीक्स की निंदा
अमेरिकी खुफिया दस्तावेजों की नई खेप विकिलीक्स से दुनियाभर में जारी होने से पहले रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने इसकी 'निंदा' की है और इसे 'अविवेकी' हरकत बताते हुए कहा है कि उसने भविष्य में ऐसी किसी हरकत को रोकने के लिए पहल शुरू कर दी है।
पेंटागन के प्रवक्ता ब्रायन व्हिटमेन ने कहा कि जैसा कि हमने अतीत में किया, हम उन गोपनीय दस्तावेजों के अविवेकी खुलासे की निंदा करते हैं जिन्हें गैर कानूनी तरीके से हासिल किया गया।
भविष्य में इस तरह से संवेदनशील आंकड़ों की चोरी रोकने के मौजूदा प्रयासों के बारे में पत्रकारों को बताते हुए उन्होंने कहा कि विकिलीक्स की इस हरकत के परिणामस्वरूप आधिकारिक माध्यमों से बाहर सूचनाएं जुटाना और मुश्किल हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने भविष्य में ऐसी किसी हरकत को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं।
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