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नया धमाका

11/18/2010

देरी से उठाया गया एक सही कदम

इंद्रेशजी ने भेजा शांति धारीवाल को नोटिस:
रामदास सोनी

''अजमेर दरगाह विस्फोट मामले में राजस्थान के गृहमंत्री शांति धारीवाल को संघ के प्रचारक इन्द्रेश कुमार ने कानूनी नोटिस देकर अनर्गल बयानबाजी पर कोर्ट में घसीटने की चेतावनी दी है। राजस्थान पत्रिका के अनुसार, छह पेज के नोटिस में कहा गया है कि धारीवाल द्वारा दिया गया बयान जांच को प्रभावित करने तथा राजनीतिक हित साधने की नीयत को दर्शाता है। इन्द्रेश के वकील सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अमन लेखी ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि मंत्री संवैधानिक मर्यादा से बंधे होते हैं। वह ऐसी कोई भी बात नहीं कर सकते जिससे कानून व्यवस्था बिगड़ने के साथ किसी की गरिमा को ठेस पहुंचे। लेखी ने कहा कि धारीवाल ने इन्द्रेश कुमार पर जो भी आरोप लगाए, वे न चार्जशीट से मेल खाते हैं और न ही उनका कोई दस्तावेजी साक्ष्य है। नोटिस में धारीवाल को आगाह किया गया है कि वे अनर्गल बयानबाजी से बाज आएं अन्यथा हाईकोर्ट में पुनर्याचिका दायर करने सहित उनके खिलाफ दूसरे कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं।''
यह समाचार इस बात का द्योतक है कि अब संघ के कार्यकर्ता भी वीर सावरकर द्वारा बताए गए मंत्र शठे शाठयाम समाचरेत के अनुसार कांग्रेसी कुचालों से निपटने के लिए कमर कसने लगे है। भारत के कोटिधिक हिन्दु समाज को उनसे ऐसी ही आशा थी। कांग्रेस के सिपहसालारों जिनमें मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी (उर्फ रॉल घान्दी), राजस्थान के गृहमंत्री शांति धारीवाल आदि ने तो संघ को बदनाम करने के लिए अनर्गल और निराधार बयानों की झड़ी लगा दी थी आशा है कि न्यायिक प्रक्रिया अगर प्रारंभ होती है तो ऐसे बयानों पर अंकुश लगेगा।
हाल की कुछ घटनाएं इस ओर संकेत करती हैं कि हिंदू आतंकवाद के रूप में भय का भूत खड़ा किया जा रहा है। यह आपत्तिजनक है कि पहले हिंदू आतंकवाद का हौवा खड़ा किया गया और फिर उसे भगवा आतंकवाद के रूप में रेखाकित किया गया। इसके बाद अजमेर बम धमाके को लेकर जिस तरह संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार को कठघरे में खड़ा करने की असफल कोशिश की गई उससे यह आशका सत्य साबित हो गई कि संघ को बदनाम करने की कोशिश हो रही है। यह सामान्य सी जिज्ञासा सारे देश को है कि बगैर किसी सबूत के किसी का नाम आरोपपत्र में क्यों दर्ज किया गया?
यदि राजस्थान पुलिस को इस बारे में कोई शका है कि अजमेर बम ब्लास्ट में उनका हाथ था तो फिर पूरी जाच-पड़ताल क्यों नहीं की गई? आखिर ऐसी क्या जल्दी थी कि जाच-पड़ताल हुए बगैर उनका नाम आरोपपत्र में दर्ज कर दिया गया? यह एक ऐसा मामला है जिससे आम जनता इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए विवश है कि इंद्रेश कुमार और उनके बहाने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। यह भी कम विचित्र नहीं कि इंद्रेश कुमार का नाम आरोपपत्र में शामिल करने के एक माह बाद भी राजस्थान पुलिस कुछ स्पष्ट करने की स्थिति में क्यों नहीं है? यह भी समझ से परे है कि राजस्थान पुलिस की कार्रवाई को वहा की सरकार और साथ ही काग्रेस पार्टी किस आधार पर उचित करार दे रही है?
यह संभवतः अपने किस्म का पहला मामला है जिसमें एक आधे-अधूरे आरोपपत्र के आधार पर न केवल संबंधित व्यक्ति, बल्कि एक पूरे संगठन को कठघरे में खड़ा किए जाने का प्रयास किया गया। विडंबना यह है कि इसी को पंथनिरपेक्ष राजनीति के प्रमाण के रूप में पेश करने की कोशिश की जा रही है। यह कहना बिल्कुल सही है कि प्रत्येक हिंदू इस संगठन का सदस्य नहीं, लेकिन इसके बावजूद काग्रेस एवं अन्य कथित पंथनिरपेक्ष राजनीतिक दल हिंदू आतंकवाद का जुमला उछालने में लगे हुए हैं। इस संदर्भ में इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि जिन गुमनाम से हिंदू संगठनों के कुछ लोगों को आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है उनमें से किसी के भी खिलाफ लगे आरोप सिद्ध नहीं हो सके हैं।

1 टिप्पणी:

  1. जो काम कांग्रेस के लोग लम्बे समय से कर रहे है यानि कि पहले आरोप लगाओं फिर हल्ला मचाओं और कोई ज्यादा प्रतिवाद करें तो उसे कोर्ट में ले जाने की धमकी दो। उनका यही फार्मूला पहली बार इन्द्रेशजी ने उन पर चलाने का किया है जिसके बाद से ही राजस्थान कांग्रेस के कांग्रेसी चमचों में चुप्पी है। संघ को अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए सड़क, न्यायालय और सभी प्रकार के मंचों का प्रयोग करना चाहिए तभी वर्तमान संकट से संघ निजात पा सकता है।

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