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नया धमाका

11/29/2010

पांच नवजात बच्चे जेल में रहने को मजबूर

बटाला : गुरदासपुर के केंद्रीय कारागार में पांच नवजात बच्चे जेल में रहने को मजबूर हैं. दरअसल सजायाफ्ता या विचाराधीन कैदी के रूप में रह रही माताओं एवं अभिभावकों के साथ ये बच्चे इसलिए जेल में रहने को मजबूर हैं कि उनका कोई भी रिश्तेदार उनकी देखभाल करने को तैयार नहीं है.  जेल अधीक्षक बलजिंदर सिंह गिल ने कहा कि जेल में बंद 69 महिला कैदियों में से पांच महिलाएं अपने एक से दो वर्ष के बच्चों के साथ जेल में बंद हैं क्योंकि उनका कोई भी रिश्तेदार उन्हें साथ ले जाने को इच्छुक नहीं है.  उन्होंने कहा कि चार महिलाएं विचाराधीन कैदी हैं जबकि एक को आठ वर्ष कैद की सजा मिली हुई है. इन नवजातों के किसी भी रिश्तेदार द्वारा उन्हें साथ नहीं रखने के कारण जेल अधिकारी उन्हें जेल से बाहर नहीं भेज सकते और उन्हें अपने अभिभावकों या माताओं के साथ जेल में रखा जा रहा है. अधिकारी ने कहा कि पुलिस महानिदेशक की अनुमति से जेल के अधिकारी इन बच्चों को दूध और फ़ल मुहैया करा रहे हैं. अपनी बहू की हत्या के अपराध में आठ वर्ष कैद की सजा काट रही राधा रानी ने कहा कि वह निदरेष है और वह अपनी पोती को साथ रखने को मजबूर है क्योंकि उनका कोई भी रिश्तेदार बच्ची को साथ ले जाने को तैयार नहीं है.  इसी तरह विचाराधीन कैदी ज्योति और कुलजीत कौर सुविधाओं से तो संतुष्ट हैं लेकिन जेल में बच्चों की पढाई को लेकर चिंतित हैं. गिल ने कहा कि ऐसे मामलों में अधिकारी बच्चों के चार वर्ष के हो जाने पर उन्हें जेल से बाहर भेज देते हैं. उन्होंने कहा कि कोई व्यकित या गैर सरकारी संगठन जिलाधिकारी की अनुमति से उन्हें गोद ले सकता है.

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