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नया धमाका

11/30/2010

हमारे राजनयिकों ने कुछ गलत नहीं कियाः अमेरिका

अमेरिकी राजनयिकों की ओर से भारत समेत संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों की जासूसी के खुलासे के बाद आज एक शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि देश के प्रतिनिधि अपने अन्य विदेशी समकक्षों की तरह संबंधों को मजबूत कर रहे थे। विकीलीक्स पर अमेरिका के गोपनीय संदेशों के प्रसारित होने के बाद संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत सुसान राइस ने कहा, ‘‘हमारे राजनयिकों ने वही किया जो दुनियाभर में राजनयिक प्रतिदिन करते हैं। वे रिश्ते बनाते हैं, बातचीत करते हैं, हमारे हितों को आगे बढ़ाते हैं और जटिल समस्याओं का समान हल तलाशते हैं।‘‘ सुसान ने कहा, ‘‘मैं सिर्फ यह रेखाकिंत करना चाहती हूं कि इस जटिल विश्व में जहां हम रहते हैं, इसमें अमेरिकी राजनयिक जो काम संयुक्त राष्ट्र और पूरे विश्व में करते हैं वह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये अनिवार्य है। यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में हमारे साझा हितों को आगे बढ़ाता है।‘‘ विकीलीक्स के सोमवार को जारी संदेशों से खुलासा हुआ था कि अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत हरदीप पुरी तथा अन्य लोगों के ‘जीवन और शारीरिक जानकारियों‘ को इकट्ठा करने का निर्देश दिया था।
विकीलीक्स के की ओर से जारी अमेरिकी संदेशों में कहा गया था, ‘‘निर्गुट सम्मेलन, जी 77, ओआईसी के स्थायी सदस्यों, विशेषकर चीन, क्यूबा, मिस्र, भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, सूडान, उगांडा, सेनेगल और सीरिया के प्रतिनिधियों के शारीरिक और जीवन संबंधी सूचनायें और उनका उनके (देश की) राजधानी से संबंधों के बारे में जानकारी दें।‘‘ यह संदेश अगस्त 2009 में हिलेरी क्लिंटन के कार्यालय से भेजा गया था। एक अन्य संदेश में हिलेरी ने जी फोर के सदस्यों- ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिये ‘‘स्वयभू दावेदार‘ बताया था। ये संदेश अमेरिका के नयी दिल्ली स्थित दूतावास से भी भेजा गया है। यह पूछे जाने पर कि क्या संदेश असली है, इस पर सुसेन राइस ने कहा, ‘‘मैं गोपनीय दस्तावेजों या कथित गोपनीय दस्तावेजों और उसकी विषय वस्तु पर टिप्पणी नहीं करने जा रही हूं।‘‘ उन्होंने कहा, ‘‘यह वह समय है जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के नेतृत्व में हम विश्वभर में अपने भागीदारों और सहयोगियों के साथ अपने संबंधों को फिर से मजबूत कर रहे हैं।‘‘ इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि वह इन दस्तावेजों की वैधानिकता पर कोई टिप्पणी नहीं करने जा रहा है लेकिन वह और जानकारियां चाहता है। इसके बाद वह उचित जवाब देगा।

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