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नया धमाका

11/29/2010

42 साल के "किशोर" को आखिर मिली रिहाई


 

केस की कछुआ चाल 1983 उत्तम घोष उर्फ भीम पर हत्या के प्रयास का मामला दर्ज
1986 भीम को ट्रायल कोर्ट से धारा 307 के तहत दोषी करार
2009 हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा
2010 सुप्रीम कोर्ट ने बिना सजा के बरी कर दिया

3.56 करोड़ केस लंबित देश की अदालतों में
15777 विचाराधीन कैदी केवल मध्यप्रदेश में

यह था मामला
मामला उत्तम घोष का है। इस पर 1983 में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज हुआ। तब उत्तम 15 वर्ष का था। कोर्ट उसे अपराध के समय उम्र के आधार पर सजा सुनाती तो उसे बाल सुधार गृह भेजना पड़ता, जबकि 42 वर्ष की उम्र के आधार पर सजा सुनाती तो उसके साथ अन्याय होता, क्योंकि उसने वयस्क अवस्था में अपराध नहीं किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की पेचीदगी देखते हुए भीम को बिना सजा के रिहा कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में आए एक केस ने न्याय व्यवस्था पर कटाक्ष किया है। एक व्यक्ति जिसने किशोरावस्था में अपराध किया, उसका केस सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने तक उसकी उम्र 42 हो गई। कोर्ट यह नहीं समझ पा रहा कि व्यक्ति को सजा अपराध के समय की उम्र के आधार पर दें या वर्तमान उम्र पर। इसके चलते कोर्ट ने उसे बरी कर दिया।

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