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नया धमाका

9/30/2012

क्या यही है नारी की शक्ति ?

इक्कीसवी सदी भारत धीरे-धीरे विश्वशक्ति बनने की ओर अग्रसर व परमाणु शक्ति से भी सम्पन्न। साथ ही उच्च तकनीक से युक्त होते हमारे सरकारी कार्यालय तथा लगातार बढती हुई बहुराष्ट्रीय कंपनियों की संख्या और उनमे काम करते हुए महिलाए और पुरुष। तथा छोटे और बडे शहरो की सङको पर गाडिया चलाती हुई युवतिया। ये हमारे भारत देश के समाज का एक चेहरा जिसे हम कहते है इंडिया।
दूसरी ओर अस्पताल के जच्चा वार्ड का कमरा वहॉ के पलंग पर लेटी हुई गर्वभती महिला और उस महिला के परिजन चिकित्सक से बात करते हुए कि उन्हे ये गर्भ गिरवाना है क्योकि उस औरत के पेट मे पल रहा वो बच्चा लडकी है। और कुछ ही देर मे उस महिला का गर्भपात हो जाता है। चिकित्सक कुछ रुपयो के लालच मे सारे कानूनो को ताक पर रखकर उसका गर्भपात कर देता है। और वह बच्ची जन्म लेने से पहले ही अपना दम तोड देती है। बंद कमरे मे उसकी हत्या कर दी जाती है। लेकिन इसकी किसी को कानो-कान खबर नही हो पाती और अंत मे आते है तो सरकारी आंकडे या फिर इक्का दुक्का भ्रण कभी कभार कूडे के ढेर पर ढेर मिलते है। ये है हमारे देश के समाज का दूसरा चेहरा जो इस देश की साख पर दाग लगाता है।
जब कभी इस तरह की घटना हमे देखने को मिलती है तो ये झकझोर कर रख देती है। लेकिन ये बहुत ही चिंतन का बिषय है कि इस तरह की घटनाए कम होने की वजाय बढती ही जा रही है। यह हमारे देश की बिडम्बना है कि जहॉ एक ओर नारी शक्ति की बात की जाती है वही दूसरी ओर इस तरह के कुक्रत्य देखने को मिलते है। इस तरह की घटनाओ के पीछे सबसे बडी बजह हमारे समाज की दकियानूसी मानसिकता है कि लडका हमारे वंश को आगे बढायेगा और साथ ही लडकी के बङे हो जाने पर उसकी शादी मे दहेज देना पडेगा। इस कारण भ्रूण की हत्या कर दी जाती है और यह काम हमारे समाज के उस तबके के द्वारा किया जाता है जिसको समाज मे प्रतिष्ठत स्थान प्राप्त है। एक चिकित्सक जिसे धरती पर दूसरा भगवान का दर्जा दिया जाता है वही लालच मे अंधा होकर ऐसा घिनौना अपराध करता है। लेकिन हत्या करवाने वाला भूल जाता है कि वह जिसकी जान लिवा रहा है उसी ने उसको जन्म दिया और उसी की अर्धागिनी वो भी ये सब बनने से पहले एक कन्या ही थी।
लेकिन इन सब की कीमत पूरे समाज को उठानी पङती है। लगातार भ्रूण हत्याओ के चलते महिला और पुरुष का लिंगानुपात लगातार गिरता ही जा रहा है। आज हमारे देश का लिंगानुपात 1000:940 हो गया है जबकि 0 से 6 बर्ष की आयु के बीच यह स्थिति और भी चिंताजनक है वहाँ लिंगानुपात 1000:914 है। यह स्थिति बहुत ही विकट है यदि अभी समय रहते इस समस्या का कोई समुचित हल नही निकाला गया तो आने वाले समय मे और भी भयावह स्थिति उत्पन्न होगी और तब शायद उसे सभाल पाना हमारे बस मे नही होगा।

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