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नया धमाका

9/28/2011

मैं स्वर्ग से भगत सिंह बोल रहा हूं !

  
प्यारे भारतवासियों!
मैंने तथा मेरे साथी चन्द्रशेखर, बिस्मिल और न जाने कितने अज्ञात शहीदों ने अपनी कुर्बानी देकर प्रिय भारत को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करवाया था। हमने हमारा बलिदान इस आशा के साथ किया था कि हमारा देश भारत आजादी पाकर और फलेगा- फूलेगा। इसका हर नागरिक सुखी, नेक, ईमानदार और देशभक्त होगा। हमने आज के भारत का सपना कभी नहीं देखा था और न कभी हमने सोचा था कि हमारा पावन भारत इतना भ्रष्ट हो जायेगा। वैसे तो स्वर्ग में सभी सुख है, पर प्यारे भारत की वर्तमान दशा को देखकर हम सभी स्वर्ग में भी दुःखी है। गांधीजी, सुभाष, नेहरू, लाला लाजपत राय, तिलक, गोखले, राजाजी, पंतजी, टैगोर सभी अति दुःखी है और कहते है - “ हमारे प्रिय भारत के लोग प्रतिदिन रसातल की ओर क्यों गिर रहे है। राम, कृष्ण और बुद्ध के देश में लोग कितना गिर गए है, सीता, सावित्ऱी, कुन्ती, द्रौपदी और अहिल्या के देश की नारियों की दुर्दशा क्यों हो रही है।
            थ्प्रय भाईयों और बहिनों! मजहब और जाति से देश ऊपर है। यदि देश ही नहीं रहेगा तो मजहब और जाति कहां रहेगें! प्रिय भारतवासी पहले है, जाति और मजहब बाद में आते है। आप समझे कि मुस्लिम, जैन, पारसी, सिक्ख और इसाई सब भारत की संतान है और भारत की रक्षा करना आपका पुनीत कर्तव्य है। दुःख इस बात का है कि आप स्वयं ही अपने देश को कमजोर बना रहे है। यह नेता नाम की जो नस्ल पैदा हुई है। इसी ने पूरें देश को अवनति की ओर णकेला है और आप स्वयं इनका अनुसरण कर रहे है। जरा सोचे, विचार करें! और अपने आप को टटोलें।समय रहते आप लोग नहीं चेते तो भारत पुनः गुलाम हो जायेगा। और पछतावें के सिवा आपके पास कुछ नहीं रह जायेगा। हमारी कुर्बानियों को आज मिट्टी में न मिलावें, भाई भतीजावाद, सम्प्रदायवाद, भाषावाद, जातिवाद, क्षेत्रीयवाद, अन्धी कट्टरता को छोड़े और देश को सर्वोपरि समझे।
            हम सुन रहे है कि भारत एक बहुत बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उभर कर सामन आ रहा है, पर जब देश की अस्मिता ही नहीं रहेगी तो अर्थ का क्या महत्व रह जायेगा! हमें हमारी राष्ट्रीयता, संस्कृति और सुरक्षा को सदैव ध्यान रखना होगा। हमने यह भी सुना है कि आंतकवाद भारत के लिए महान खतरा है पर आंतकियों को अपने घरों में शरण देने वाले भी तो भारतीय ही है न! अतः ऐसे देशद्राहियों को हमें चुन-चुन कर मारना होगा, हमें देशभक्त बनना होगा। देश के भीतर पनप रही बुराई को हमें जड़ से उखाड़ कर फेंकना होगा और आंतरिक कलह को समाप्त करना होगा।
            हम सभी शहीद एक राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत भारत का निर्माण करना चाहते थे पर आप लोगो ने हमारे सपनों पर पानी फेर दिया। अमीर और अमीर होता चला गया तथा गरीब और नीचे धंसता चला गया। सुना गया है कि भारत में अरबपतियों की संख्या बढ़ गई है पर भारत में गरीब भी सब देशों से ज्यादा है।
            प्रिय देशवासियों! आज के भारत की तस्वीर देखकर हम सभी शहीद छटपटा रहे है और इस तस्वीर को बदलने के लिए हम सभी पुनः भारत में जन्म लेने के लिए आतुर है। एक अरब से अधिक जनसंख्या वाले भारत में नौजवानों का रक्त भी ठण्डा पड़ गया लगता है, वे भी रोटी-रोजी के चक्कर में अपने कर्तव्यों को भुला बैठे है! वाह रे देशवासियों! क्या गुल खिलाये है आप लोगो ने! कुछ युवक दो पैसों के चक्कर में भारत माता को रोती छोड़कर विदेशों में जा बसे है। देश की सभी पार्टियों के लोग एक ही थैली के चट्टे-बट्टे है और इन सब की नजर सत्ता की ओर लगी रहती है। साल में एक बार हम शहीदों को याद करके अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते है। हमस ब शहीदों का आप से निवेदन है कि भले ही आप हमें याद न करें पर अपने देश के प्रति निष्ठा रखें। कहा भी है - “ जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
            उठो, जागो, चेत करो और देश के शत्रुओं को पहचानों
मैं भगत सिंह दुःखी मन से बोल रहा हूं- मेरी बात पर अमल करो मेरे भाई बहनों! पड़ौसियों की नजर हरी-भरी भारत भू पर लगी हुई है। सतर्क हो जाओं। देश में ही रहने वाले शत्रुओं को पहचानों, उन्हे चुन-चुन कर मारों, काला धन एकत्र करने वालों को बाहर निकालों- लोकतंत्र की आड़ में न जाने कितने कुकृत्य हो रहे है! औद्योगिक क्रांति के नाम पर किसानों को बेघर किया जा रहा है, पवित्र गंगा मां का जल गंदा और मटमैला किया जा रहा है, लाखों टन कचरे के ढ़ेर के पास रहने वाले लाखों लोगो का जीवन खतरे में है और करोड़ो बच्चे प्लास्टिक की थैलियां बीन रहे है। भारत मां! तेरी यह दुर्दशा हम शहीदों से देखी नहीं जाती पर क्या करें! विवश है, लाचार है!
            हमें पुनः मानव देह प्रदान करके पुनः भारत भू पर भेजो ताकि हम उसकी सेवा कर सके, दोषियों को सबक सिखा सके और भूले-भटकों को सही मार्ग पर ला सकें। भारत मां की सेवा के लिए हम बारम्बार जन्म लें। यही हमारी अभिलाषा है, मनोकामना है, प्रार्थना स्वीकार करों प्रभु!
                                                                                                जय हिन्द!
                                                                                                                                 आपका
                                                                                                                               भगत सिंह

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