इस सत्ता के लिए हम किसी भी हद तक गिर सकते हैं !
इस कुर्सी के लिए हमारे पूर्वजों ने देश के टुकड़े कराये थे ,इस सत्ता के लिए आतंकी अफजल को हम दामाद बना कर पाल रहे हैं ,इस सत्ता के लिए हमने सच्चर के बहाने विभाजन के नए बीज बो दिए हैं, कुर्सी की खातिर हिंदू साधू संतों को हमने आतंकवादी बना कर जेल में ड़ाल रखा है ,सत्ता की खातिर हम सोये हुए देशभक्तों पर गोलियाँ चलवा सकते हैं,सत्ता के लिए तो हम अपनी माँ बहन और बेटियों तक को बेच सकते हैं, हमारे कमीनेपन और दरिंदगी का मुकाबला भेडिये भी नहीं कर सकते ,
आखिर हम कांग्रेसी और कांग्रेसियों के समर्थक हैं !
जब देश आजाद हुआ तो कांग्रेस ही एक मात्र अखिल भारतीय राजनितिक पार्टी के रूप में सामने आई ! बाद में इसी कांग्रेस पार्टी से टूट कर कई दल बने ! कांग्रेस का अर्थ है सभा ,अधिवेशन ( assembly , formal meeting ) कांग्रेस कोई सोच या कोई विचारधारा नहीं है ! इस में जिस मानसिकता के जिस सोच के लोग जुडेगे वही पार्टी की विचारधारा तथा निति होगी ! जैसे की मैंने कहा कांग्रेस पार्टी टूटती गई ,ईमानदार,अछे ,काम करने वाले जाते रहे और बेईमान ,लोभी ,हरामखोर लोग जमा होते गए ,इन की एक ही सोच है जितना हो सके देश को लूट लो ? जिसका नतीजा आज हमारे सामने है ! जनता ने कांग्रेस को गुरु नहीं धारा जो इस को सर आँखों पर बिठा के रखेगे ,पहले भी दो तीन बार लात मार के सत्ता से बाहर किया है और आज भी कांग्रेस उसी राह पर है !!!!!
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