दशकों से राम लीला मैदान में – राम लीला का अंत दशहरे को, बुराई के प्रतीक रावण दहन से होता आया है….. मगर इस बार सत्ता के नशे में मदमस्त ‘सेकुलर शैतानों ‘ ने राम लीला मैदान को ‘रावण लीला’ का अखाडा बना डाला और सत्य- अहिंसा की रामसेना को रात के अँधेरे में खदेड़ कर दशानन विजय का बिगुल बजा दिया. बाबा राम देव के अभियान को पलीता लगाने के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया और महज़ पांच दिन में मिडिया के वाच डाग्ज़ को १७०० करोड़ के विज्ञापन टुकड़े डाल दिए- और हमारे मिडिया के दलालों ने भी खूब बाबा की खबर ली.
मगर बाबा का राम बाण तो चल गया ….. राम लीला मैदान की सरकारी शैतानियत सारे देश ने ही नहीं सारे विश्व ने देखि ..और असर भी विश्व व्यापी हुआ. भारत की जनता में यह साफ़ साफ़ सन्देश गया कि देश पर राज करने वाले ये काले अँगरेज़ अव्वल दर्जे के चोर -डाकू हैं. विदेशी बैंकों में पड़ा अधिकाँश काला धन इन्हीं राजनेताओं का है , जिसे वे किसी भी कीमत पर ज़ाहिर नहीं होने देंगे . बाबा के राम बाण से घायल तो ये शैतान भी हुए ही हैं .. तभी तो राजमाता- राजकुमार अपने दशानन भेदियों सहित ८ जून को निजी विमान से स्विसत्ज्र्लैंड भागे … अपना काला धन ठिकाने लगाने को !!!! मज़े की बात तो यह है कि अपने आप को देश के वाच डाग … भेदी कुत्ते कहने वाला मिडिया भी मुंह में विज्ञापन की मोटी सुपारी दबाए चुप चाप बैठा है.. किसी ने माँ- बेटे से सवाल नहीं किया कि वे चुप चाप स्विस्द्जर्लैंड कौन से ज़रूरी काम से गए थे…
बाबा का राम बाण तो बहुत दूर तक काम कर गया …. स्विस सरकार और स्विस बैंक बाबा के राम बाण से बेहाल हैं .. स्विस मिडिया का मानना है की बाबा फैक्टर स्विस अर्थ व्यवस्था पर बहुत भारी पड़ा है .. स्विस बैंको की जमा राशी में यका यक १५ लाख करोड़ डालर की कमी आई है. यदि यही हाल रहा तो स्विस बैंको का काला गोरख धंधा चौपट हो जाएगा. इन बैंको का ५२ % कारोबार हमारे चोरों के पैसे से ही चलता है.
भारत के बाद स्विस बैंकों में सबसे अधिक काला धन चीन और रूस का है. बाबा की मुहीम ने वहां भी अपना असर दिखाया है …अरब देशों के जनांदोलन से चीन और रूस के हुक्मरान पहले ही बहुत चिंतित हैं .. चीन ने क़ानून बना कर स्विस सरकार से स्विस बैंकों में चीनियों के काले धन का विवरण मंगवा लिया है, और काले धन पर कानून में मृत्यु दंड का बदलाव भी कर रहा है. दूसरी ओर रूस में एक समाजिक कार्यकर्त्ता बदिमीर ईलिनोईच द्वारा चलाया जा रहा आन्दोलन जोर पकड़ता जा रहा है. रूस की सरकार ने जनता को आश्वासन दिया है कि देश का सारा काला धन दो माह में वापिस मंगवा लिया जाएगा.
नेट पर भी सरकार के खिलाफ ज़बरदस्त आन्दोलन चल रहा है .. फिर भी हमारे ये काले अँगरेज़ खुश फहमी में मस्त हैं कि … खाए जाओ खाए जाओ .. किहने भेद खोलना ऐ.. आपे रौला पाए जाओ .. भुखेयाँ नूँ लमियाँ कहानिया सुनाए जाओ. मगर ये भूल गए की राम बाण से रावण नहीं बच पाया ये किस खेत की मूली हैं.
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