नई दिल्ली। कांग्रेस भले ही अपने युवा महासचिव राहुल गांधी को "यूथ आइकॉन" के रूप में प्रोजेक्ट करे और देश के हर कोने में उनका जादू चलने का दावा करे लेकिन बिहार विधानसभा के नतीजों ने साफ कर दिया कि राजनीतिक रूप से जागरूक इस प्रदेश में राहुल के लिए करिश्मा दिखाना फिलहाल दूर की कौ़डी है। राहुल ने बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रचार अभियान का मोर्चा खुद संभाला था। पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में उन्होंने छह चरणों में हुए चुनाव के दौरान लगभग 16 सभाएं व रैलियां की लेकिन राहुल इन रैलियों में जुटी भी़ड को पार्टी के उम्मीदवारों के लिए वोट में तब्दील कराने में पूरी तरह असफल हुए।
इस चुनाव में कांग्रेस महज पांच सीटों तक ही सिमट कर रह गई। उसका प्रदर्शन विगत विधानसभा चुनाव से भी खराब रहा। गत विधानसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव की "बैसाखी" के सहारे कांग्रेस 10 सीटें जीतने में कामयाब रही थी लेकिन इस बार अकेले चुनाव ल़डने की राहुल की रणनीति ने सीटों का आंक़डा डबल करने के पार्टी नेताओं के सपने को चकनाचूर कर दिया। राहुल ने विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कटिहार, अररिया और सुपौल में सभाएं कीं। कटिहार में कांग्रेस पांचवें स्थान पर रही। यहां से कांग्रेस प्रत्याशी विनोद कुमार यादव को महज 2570 वोट ही मिल सके। अररिया और सुपौल में कांग्रेस उम्मीदवारों को तीसरे स्थान पर संतोष करना प़डा। दूसरे चरण में राहुल ने सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर में सभाएं कीं। सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर में कांग्रेस चौथे स्थान पर रही जबकि समस्तीपुर में उसके उम्मीदवार को 10,938 मत मिला और वह तीसरे स्थान पर रहे। तीसरे चरण में राहुल ने रामनगर, कुचायकोट और मांझी में पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार किया लेकिन यहां के चुनावी नतीजों में उनका यही करिश्मा दिखा कि रामनगर में कांग्रेस दूसरे स्थान पर पहुंच गई तो कुचायकोट से कांग्रेस उम्मीदवार चौथे स्थान पर रहे। मांझाी में तो कांग्रेस का और बुरा हाल रहा। कांग्रेस उम्मीदवार यहां पांचवें स्थान पर रहे। चौथे चरण में राहुल ने बेगूसराय, मुंगेर और भागलपुर में सभाएं की। भागलपुर में कांग्रेस उम्मीदवार अजीत शर्मा ने भाजपा के अश्विनी चौबे को अच्छी टक्कर दी। हालांकि वह चौबे को हराने में नाकामयाब रहे। चौबे को मिले 49,164 मतों के मुकाबले कांग्रेस उम्मीदवार शर्मा को 38,104 मत मिले। बेगूसराय और मुंगेर में कांग्रेस चौथे स्थान पर रही। राहुल ने पांचवें चरण में राज्य की शेखपुरा और नवादा तथा छठे चरण में सासाराम और औरंगाबाद में चुनावी सभाएं की लेकिन इन क्षेत्रों में भी कांग्रेस को कोई खास सफलता नहीं मिली। सासाराम में तो वह छठे स्थान पर पहुंच गई। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार सासाराम से ही कांग्रेस की सांसद हैं। औरंगाबाद में कांग्रेस पांचवें स्थान पर रही। ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में 2007 के पिछले विधानसभा चुनाव में भी राहुल ने जमकर प्रचार किया था लेकिन यहां भी उनका जादू नहीं दिखा था।
राहुल नाम के विदेशी कारतूसों को भारत की जनता नकार चुकी है, इन्हे वापिस इटली भेजने की कार्यवाही भी अब भारत की जनता को प्रांरभ कर देनी चाहिए क्योंकि इनका इतिहास देखकर लगता है कि कल को देश पर कोई संकट आ गया तो फिर सोनिया भी कहेगी कि मैं मायके चली जाऊगी तुम देखते......
जवाब देंहटाएंवास्तव में कांग्रेसियों का दिमाग खराब हो गया है।
जवाब देंहटाएंअगले आम चुनाव से पहले माता जी को इसे तो भारत भ्रमण पर भेज देना चाहिए :)
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