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नया धमाका

11/27/2010

ऐ मेरे वतन के लोगो...

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की याद है न आपको? भारत का वही बहादुर रणबांकुरा जो अब से दो साल पहले मुम्बई पर आतंकी हमले (26/11) में ताज होटल में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गया था। उस दौरान उसके पिता श्री के.उन्नीकृष्णन द्वारा घड़ियाली आंसू बहाने उनके घर पहुंचे नेताओं को देहरी से बाहर करने के दृश्य भी कैसे भूल पाएं होंगे आप। वे नहीं चाहते थे कि उनके जांबाज बेटे की शहादत पर कोई वोट बटोरू नेता नकली अफसोस जताए, क्योंकि वही तो वह निठल्ली जमात है जिसकी लापरवाही ने भारत के खिलाफ उस पैमाने का आतंकी हमला होने दिया था।
बहरहाल, आज दो साल बाद, जिंदगी की भागमभाग में देशवासी आतंकी खतरे को अनदेखा न कर दें, इस गरज से और इस गरज से कि देशवासी अपने बहादुर सिपाहियों के बलिदानों को न भूलें, शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के पिता श्री के.उन्नीकृष्णन देश में साइकिल यात्रा पर निकले हैं। गत 26 अक्तूबर को नई दिल्ली में इंडिया गेट से शुरू हुई उनकी यह अनूठी साइकिल यात्रा भारत के मुख्य शहरों से गुजरते हुए 26 नवम्बर को मुम्बई में उस गेटवे आफ इंडिया पर खत्म होगी जो 26/11 के हमले का मौन साक्षी है। श्री उन्नीकृष्णन कहते हैं कि हमारे सैनिकों ने भारत की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाई है। ऐसे वीरों को देश याद रखे, उन्हें नमन करे, यही उनकी इस साहसी यात्रा का उद्देश्य है। 26-27 नवम्बर को वे अपनी पत्नी के साथ ताज होटल में ठहरेंगे और अपने खोए बेटे की स्मृतियों को सहेजते हुए उसके बचपन की अल्हड़ता से लेकर शहादत तक की एक-एक घटना को यादकर उसे आशीष देंगे। उनकी यह "नमन शहीदों को" साइकिल यात्रा हजारों-लाखों युवाओं को देशभक्ति से ओत प्रोत करेगी, यही आशा है।

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