पाकिस्तान में एक सिख नागरिक को लाहौर हाईकोर्ट में कृपाण लेकर घुसने से रोक दिया गया। इससे नाराज नागरिक अजीत सिंह अब सुरक्षाकर्मी के खिलाफ याचिका दाखिल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृपाण को सिखों के शरीर का हिस्सा माना जाता है। अमेरिका में राष्ट्रपति के निवास व्हाइट हाउस में भी कृपाण लेकर प्रवेश करने से नहीं रोका जाता, तो फिर यहां बंदिश क्यों लगाई जा रही है। सिख समुदाय ने भी इसपर नाराजगी जताई है।
अजीत सिंह लाहौर हाईकोर्ट में अपने वकील से मिलने गए थे। लेकिन वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी ने उनसे कृपाण उतारकर अंदर जाने को कहा। इस पर अजीत सिंह और सुरक्षाकर्मी में विवाद हो गया और वे वकील से बिना मिले ही चले आए।
सिंह ने कहा कि सिख से कृपाण हटाने के लिए कहना, उसका अपमान करना है। उन्होंने कहा कि विश्व में कहीं भी सिखों के कृपाण धारण करने पर रोक नहीं है और इसे सुरक्षा के लिए कोई खतरा नहीं माना जाता। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डों, हवाई जहाज आदि सभी जगह सिखों को कृपाण ले जाने की इजाजत है फिर यहां क्यों रोका जा रहा है।
सुरक्षा में लगे एक अधिकारी ने कहा कि सभी सुरक्षा गार्डों को सख्त निर्देश हैं कि वे किसी को भी धारदार सामान लेकर अंदर न जानें दें। उन्होंने कहा कि यहां तक कि पुलिसकर्मी भी अपने हथियार बाहर रखकर ही कोर्ट में दाखिल होते हैं।
सिंह के वकील अली इमरान नकवी ने कहा कि इसके पहले कभी भी सिख समुदाय के किसी भी व्यक्ति को अदालत में घुसने से नहीं रोका गया। इसके अलावा सभी सिख वकील भी कृपाण धारण कर ही अदालत में प्रवेश करते हैं। उन्होंने कहा कि अजीत सिंह को कृपाण लेकर घुसने से रोकना पूरी तरह से गलत है।
अजीत सिंह लाहौर हाईकोर्ट में अपने वकील से मिलने गए थे। लेकिन वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी ने उनसे कृपाण उतारकर अंदर जाने को कहा। इस पर अजीत सिंह और सुरक्षाकर्मी में विवाद हो गया और वे वकील से बिना मिले ही चले आए।
सिंह ने कहा कि सिख से कृपाण हटाने के लिए कहना, उसका अपमान करना है। उन्होंने कहा कि विश्व में कहीं भी सिखों के कृपाण धारण करने पर रोक नहीं है और इसे सुरक्षा के लिए कोई खतरा नहीं माना जाता। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डों, हवाई जहाज आदि सभी जगह सिखों को कृपाण ले जाने की इजाजत है फिर यहां क्यों रोका जा रहा है।
सुरक्षा में लगे एक अधिकारी ने कहा कि सभी सुरक्षा गार्डों को सख्त निर्देश हैं कि वे किसी को भी धारदार सामान लेकर अंदर न जानें दें। उन्होंने कहा कि यहां तक कि पुलिसकर्मी भी अपने हथियार बाहर रखकर ही कोर्ट में दाखिल होते हैं।
सिंह के वकील अली इमरान नकवी ने कहा कि इसके पहले कभी भी सिख समुदाय के किसी भी व्यक्ति को अदालत में घुसने से नहीं रोका गया। इसके अलावा सभी सिख वकील भी कृपाण धारण कर ही अदालत में प्रवेश करते हैं। उन्होंने कहा कि अजीत सिंह को कृपाण लेकर घुसने से रोकना पूरी तरह से गलत है।
अल्पसंख्यकों के साथ ज्यादतियां
पाकिस्तान मुस्लिम बहुल राष्ट्र है और कुल जनसंख्या का केवल 5 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं, जिनमें हिंदू और ईसाई शामिल हैं। पाकिस्तान में पहले भी अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय होने की शिकायतें आईं हैं। हाल ही में एक 45 वर्षीय ईसाई महिला पर व्यक्तिगत विवाद के बाद खुदा के अपमान का आरोप लगाया गया और अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई है।
पाकिस्तान मुस्लिम बहुल राष्ट्र है और कुल जनसंख्या का केवल 5 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं, जिनमें हिंदू और ईसाई शामिल हैं। पाकिस्तान में पहले भी अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय होने की शिकायतें आईं हैं। हाल ही में एक 45 वर्षीय ईसाई महिला पर व्यक्तिगत विवाद के बाद खुदा के अपमान का आरोप लगाया गया और अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई है।
कट्टरपंथियों ने धमकी दी है कि यदि राष्ट्रपति ने इस सजा को माफ किया, तो वे पूरे देश में अराजकता फैला देंगे। हालांकि वहां के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शाहबाज भट्टी ने भी माना है कि महिला को व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण फंसाया गया है।
पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ भी ज्यादतियों की कई शिकायतें आईं हैं। वहां जबरन धर्म परिवर्तन की शिकायतें आती रहती हैं। वर्तमान में वहां हिंदू बच्चों के अपहरण की वारदातें काफी बढ़ गई हैं। गुरुवार को ही सिंध प्रांत के कश्मोर क्षेत्र में स्थित एक मंदिर के सामने से एक साढ़े तीन साल की आंचल नाम की हिंदू बच्ची का अपहरण कर लिया गया। भट्टी ने लड़की को रिहा करने की अपील की है।
कोट
‘अल्पसंख्यकों के साथ पाकिस्तान में ज्यादती होती हैं। वहां एक ही अपराध के लिए बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों के लिए अलग अलग सजा निर्धारित हैं। इस भेदभाव के कारण वहां अल्पसंख्यक वर्ग के कई लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई है।’
‘अल्पसंख्यकों के साथ पाकिस्तान में ज्यादती होती हैं। वहां एक ही अपराध के लिए बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों के लिए अलग अलग सजा निर्धारित हैं। इस भेदभाव के कारण वहां अल्पसंख्यक वर्ग के कई लोगों की जिंदगी बर्बाद हो गई है।’
- शहरयार गिल, पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के जानकार
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